Ashok khaachar
ग़ज़ल मेरी इबादत …
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सिराज फ़ैसल खान की ग़ज़लें और नज़्में
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Sunday 1 May 2016
सिराज फ़ैसल खान की ग़ज़लें और नज़्में
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सिराज फ़ैसल खान माना मुझको दार पे लाया जा सकता है लेकिन मुर्दा शहर जगाया जा सकता है लिक्खा हैं तारीख़ सफ़हे सफ़हे पर ये...
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