Ashok khaachar
ग़ज़ल मेरी इबादत …
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Thursday, 4 April 2013
असलम मीर की गज़लें
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मेरे दोस्त असलम मीर की तीन बहतरीन ग़ज़ल ज़ात बेरंग तो बेनुर सा लहजा करता कब तलक तु हि बता में ...
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Monday, 4 March 2013
फ़रहत शहज़ाद
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फरहत शहज़ाद की ग़ज़लें आँखों आँखों एक ही चहेरा धड़कन धड़कन एक ही नाम - फ़रहात शहज़ाद भटका भटका फिरता हूँ गोय...
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Sunday, 3 March 2013
फ़रहत शहज़ाद की गज़लें
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खुली जो आँख तो वो था न वो जमाना था दहकती आग थी, तन्हाई, थी फ़साना था ये क्या के चंद ही कदमो पे थक के बैठ गये तु...
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