Saturday 1 June 2013

निदा फ़ाज़ली की ग़ज़लें

निदा फ़ाज़ली 

निदा फ़ाज़ली

गरज बरस प्यासी धरती पर पानी दे मौला
चिड़ियों को दाने,बच्चों को गुडधानी दे मौला

दो और दो का जोड़ हंमेशा चार कहां होता है
सोच समजवालों को थोड़ी नादानी दे मौला

फिर रोशन कर ज़हर का प्याला चमका नई सलीबें
झुठों की दुनिया में सच को ताबानी दे मौला

फिर मूरत से बाहर आकर चारो ओर बिखर जा
फिर मंदिर को कोई मीरा दीवानी दे मौला

तेरे होते कोई किसी की जान का दुश्मन क्यों हैं
जीने वालों को मरने की आसानी दे मौला

* * * * *

अब ख़ुशी है न कोई ग़म रुलाने वाला
हमने अपना लिया हर रंग ज़माने वाला

हर बे-चेहरा सी उम्मीद है चेहरा चेहरा

जिस तरफ़ देखिये आने को है आने वाला

उसको रुखसत तो किया था मुझे मालूम न था

सारा घर ले गया घर छोड़ के जाने वाला

दूर के चाँद को ढूँढ़ो न किसी आंचल में

ये उजाला नहीं आँगन में समाने वाला

इक मुसाफ़िर के सफ़र जैसी है सबकी दुनिया

कोई जल्दी में कोई देर में जाने वाला


अपनी मर्ज़ी से कहाँ अपने सफर के हम हैं
रुख़ हवाओं का जिधर का है उधर के हम हैं

पहले हर चीज़ थी अपनी मगर अब लगता हैं
अपने ही घर में किसी दुसरे घर के हम है

वक़्त के साथ है मिट्टी का सफर सदियों से 
किसको मालूम है कहाँ के किधर के हम हैं

चलते रहते है की चलना है मुसाफ़िर का नसीब
सोचते रहते है कि किस रहगुज़र के हम हैं

18 comments:

  1. शुभप्रभात
    अब ख़ुशी है न कोई ग़म रुलाने वाला
    हमने अपना लिया हर रंग ज़माने वाला
    उम्दा गजल
    खूबसूरत प्रस्तुति
    हार्दिक शुभकामनायें

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  2. वक़्त के साथ है मिट्टी का सफर सदियों से
    किसको मालूम है कहाँ के किधर के हम हैं
    .....क्या कहने, बेहद उम्दा गजल
    जरूरी कार्यो के ब्लॉगजगत से दूर था
    आप तक बहुत दिनों के बाद आ सका हूँ !

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  3. शुभ प्रभात
    पसंदीदा ग़ज़लें प्रस्तुत की अशोक भाई आपने आज
    खुश किया.....

    सादर

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  4. बहुत उम्दा,लाजबाब गजल ,, साझा करने के लिए आभार
    Recent post: ओ प्यारी लली,

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  5. आपकी यह उत्कृष्ट रचना कल दिनांक २ जून २०१३ को http://blogprasaran.blogspot.in/ ब्लॉग प्रसारण पर लिंक की गई है , कृपया पधारें व औरों को भी पढ़े...

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    1. मै तहे दिल से शुख्र गुजार हूं आपका.......

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  6. बहुत खुबसूरत ग़ज़लें ...पढवाने और सुनवाने के लिए
    आभार !
    खुश रहें!

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  7. महान शायर की लाजवाब गज़ल और कमाल की आवाज़ ...
    दोनों ही ग़ज़लें बेहतरीन ..

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  8. तेरे होते कोई किसी की जान का दुश्मन क्यों हैं
    जीने वालों को मरने की आसानी दे मौला---------

    निदा फाजली प्रगतिशील विचाधारा के शायर हैं
    इन्हें पढ़ना समझना अपने आप में सुखद अनुभव है
    आपका बहुत बहुत आभार इन्हें पढ़वाने का
    उत्कृष्ट प्रस्तुति
    सादर

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  9. निदा फ़ाज़ली को पढवाने के लिए आभार आपका

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