हुमैरा राहत
फ़साना अब कोई अंजाम पाना चाहता है
तअल्लुक टूटने को इक बहाना चाहता है
जहाँ इक शख्स भी मिलता नहीं है चाहने से
वहाँ ये दिल हथेली पर ज़माना चाहता है
मुझे समजा रही है आँख की तहरीर उस की
वो आधे रास्ते से लौट जाना चाहता है
ये लाज़िम है कि आँखे दान कर दे इश्क को वो
जो अपने ख़्वाब की ताबीर पाना चाहता है
बहुत उकता गया है बे-सुकूनी से वो अपनी
समंदर झील के नजदीक आना चाहता है
वो मुझ को आजमाता ही रहा है जिंदगी भर
मगर ये दिल अब उस को आज़माना चाहता है
उसे भी ज़िन्दगी करनी पड़ेगी 'मीर' जेसी
सुखन से गर कोई रिश्ता निभाना चाहता है
* * *
वक़्त ऐसा कोई तुझ पर आए
ख़ुश्क आँखों में समंदर आए
मेरे आँगन में नहीं थी बेरी
फिर भी हर सम्त से पथ्थर आए
रास्ता देख न गोरी उसका
कब कोई शहर में जा कर आए
ज़िक्र सुनती हूँ उजाले का बहुत
उस से कहना कि मिरे घर आए
नाम ले जब भी वफ़ा का कोई
जाने क्यूँ आँख मिरी भर आए
* * *
हर एक ख़्वाब की ताबीर थोड़ी होती है
मोहब्बतों की ये तक़दीर थोड़ी होती है
कभी कभी तो जुदा बे-सबब भी होते है
सदा ज़माने की तकसीर थोड़ी होती है
पलक पे ठहरे हुए अश्क से कहा मै ने
हर एक दर्द की तशहीर थोड़ी होती है
सफ़र ये करते है इक दिल से दुसरे दिल तक
दुखों के पाँव में ज़ंजीर थोड़ी होती है
दुआ को हाथ उठाओ तो ध्यान में रखना
हर एक लफ़्ज़ में तासीर थोड़ी होती है
* * *
किसी भी राएगानी से बड़ा है
ये दुःख तो ज़िंदगानी से बड़ा है
न हम से इश्क़ का मफ़हूम पूछो
ये लफ़्ज़ अपने मआनी से बड़ा है
हमारी आँख का ये एक आँसू
तुम्हारी राजधानी से बड़ा है
गुज़र जायेगी सारी रात इस में
मिरा कीस्सा कहानी से बड़ा है
तिरा ख़ामोश सा इज़हार 'राहत'
किसी की लन-तरानी से बड़ा है
- हुमैरा राहत
ख़ुश्क आँखों में समंदर आए
मेरे आँगन में नहीं थी बेरी
फिर भी हर सम्त से पथ्थर आए
रास्ता देख न गोरी उसका
कब कोई शहर में जा कर आए
ज़िक्र सुनती हूँ उजाले का बहुत
उस से कहना कि मिरे घर आए
नाम ले जब भी वफ़ा का कोई
जाने क्यूँ आँख मिरी भर आए
* * *
हर एक ख़्वाब की ताबीर थोड़ी होती है
मोहब्बतों की ये तक़दीर थोड़ी होती है
कभी कभी तो जुदा बे-सबब भी होते है
सदा ज़माने की तकसीर थोड़ी होती है
पलक पे ठहरे हुए अश्क से कहा मै ने
हर एक दर्द की तशहीर थोड़ी होती है
सफ़र ये करते है इक दिल से दुसरे दिल तक
दुखों के पाँव में ज़ंजीर थोड़ी होती है
दुआ को हाथ उठाओ तो ध्यान में रखना
हर एक लफ़्ज़ में तासीर थोड़ी होती है
* * *
किसी भी राएगानी से बड़ा है
ये दुःख तो ज़िंदगानी से बड़ा है
न हम से इश्क़ का मफ़हूम पूछो
ये लफ़्ज़ अपने मआनी से बड़ा है
हमारी आँख का ये एक आँसू
तुम्हारी राजधानी से बड़ा है
गुज़र जायेगी सारी रात इस में
मिरा कीस्सा कहानी से बड़ा है
तिरा ख़ामोश सा इज़हार 'राहत'
किसी की लन-तरानी से बड़ा है
- हुमैरा राहत