Sunday, 30 June 2013

वज़ीर आग़ा की ग़ज़लें


वज़ीर आग़ा 


लुटा कर हमने पत्तों के ख़ज़ाने
हवाओं से सुने क़िस्से पुराने

खिलौने बर्फ़ के क्यूं बन गये हैं
तुम्हारी आंख में अश्कों के दाने

चलो अच्छा हुआ बादल तो बरसा
जलाया था बहुत उस बेवफ़ा ने

ये मेरी सोचती आँखे कि जिनमे
गुज़रते ही नहीं गुज़रे ज़माने

बिगड़ना एक पल में उसकी आदत
लगीं सदियां हमें जिसको मनाने

हवा के साथ निकलूंगा सफ़र को
जो दी मुहलत मुझे मेरे ख़ुदा ने

सरे-मिज़गा वो देखो जल उठे हैं
दिये जितने बुझाये थे हवा ने 

- वज़ीर आग़ा 


बारिश हुई तो धुल के सबुकसार हो गये
आंधी  चली  तो रेत की दीवार हो गये

रहवारे-शब के साथ चले तो पियादा-पा

वो लोग ख़ुद  भी सूरते-रहवार हो गये

सोचा ये था कि हम भी बनाएंगे उसका नक़्श

देखा उसे तो नक़्श-ब-दीवार हो गये

क़दमों के सैले-तुन्द से अब रास्ता बनाओ

नक्शों के सब रिवाज तो बेकार हो गये

लाज़िम नहीं कि तुमसे ही पहुंचे हमें गज़न्द

ख़ुद हम भी अपने दर-पये-आज़ार हो गये

फूटी सहर तो छींटे उड़े दूर-दूर तक

चेहरे तमाम शहर के गुलनार हो गये

- वज़ीर आग़ा 


सावन का महीना हो

हर बूंद नगीना हो

क़ूफ़ा हो ज़बां उसकी

दिल मेरा मदीना हो

आवाज़ समंदर हो

और लफ़्ज़ सफ़ीना हो

मौजों के थपेड़े हों

पत्थर मिरा सीना हो

ख़्वाबों में फ़क़त आना

क्यूं उसका करीना हो

आते हो नज़र सब को

कहते हो, दफ़ीना हो

- वज़ीर आग़ा 

35 comments:

  1. ये मेरी सोचती आँखे कि जिनमे
    गुज़रते ही नहीं गुज़रे ज़माने

    फूटी सहर तो छींटे उड़े दूर-दूर तक
    चेहरे तमाम शहर के गुलनार हो गये

    आवाज़ समंदर हो
    और लफ़्ज़ सफ़ीना हो

    पोस्ट बहुत पसंद आया
    हार्दिक शुभकामनायें

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  2. पसंद आई आपकी समीक्षा
    इनकी ग़ज़ल पढ़िये मेरी धरोहर में भी
    आभार अशोक भाई
    सादर

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  3. बहुत सुन्दर गज़लें , शुक्रिया ।

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  4. आवाज़ समंदर हो
    और लफ़्ज़ सफ़ीना हो

    मौजों के थपेड़े हों
    पत्थर मिरा सीना हो

    ......................खूबसूरत प्रस्तुति के लिए
    हार्दिक बधाई और शुभकामनायें अशोक जी

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  5. बहुत सुंदर मन को छूती हुई रचना

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  6. बहुत सुंदर गजले , बहुत आभार अशोक भाई,

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  7. मौजों के थपेड़े हों
    पत्थर मिरा सीना हो,,,

    खूबसूरत प्रस्तुति साझा करने के लिए
    हार्दिक बधाई अशोक जी,,,,,,
    RECENT POST: ब्लोगिंग के दो वर्ष पूरे,

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    1. mohtram धीरेन्द्र सिंह भदौरिया ji thank you

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  8. बहुत सुंदर प्रस्तुति :)

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  9. ASHOK SAHAB AAP MERI READING LIST MEN HAIN JANAB

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  10. बहुत ख़ूबसूरत गज़लें....

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  11. अशोक भाई आप जो काम कर रहे हैं, वह सृजन का सार्थक सच है
    यह इतिहास की धरोहर है, आप इसे सहेज रहें हैं
    आपकी सोच को साधुवाद
    वजीर आगा को पढ़ना मन को शुकून दे गया
    बहुत सुंदर

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  12. सभी गजलें मन को छूती हैं ......

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  13. वाह ... कमाल की ग़ज़लें हैं आगा साहब की ...
    उस्तादाना अंदाज़ ...

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  14. अशोक भाई आपकी मेहनत रंग ला रही है ...लोगों को सुकून मिल रहा है ..आप को सबाब मिलेगा !
    खुश रहिये !

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  15. बजीर आगा जी की गज़ले पढ़ना बहुत अच्छा लगा.... धन्यवाद ...

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