राहत इन्दौरी
उसकी कत्थई आँखों में हैं जंतर-मंतर सब
चाक़ू--वाक़ू, छुरियाँ--वुरियाँ, ख़ंजर--वंजर सब
जिस दिन से तुम रूठीं मुझ से रूठे-रूठे हैं
चादर--वादर, तकिया-वकिया,बिस्तर-विस्तर सब
मुझसे बिछड़ कर वह भी कहाँ अब पहले जैसी है
फीके पड़ गए कपड़े--वपड़े, ज़ेवर--वेवर सब
आखिर मै किस दिन डूबूँगा फ़िक्रें करते है
कश्ती-वश्ती, दरिया-वरिया, लंगर-वंगर सब
जिस दिन से तुम रूठीं मुझ से रूठे-रूठे हैं
चादर--वादर, तकिया-वकिया,बिस्तर-विस्तर सब
मुझसे बिछड़ कर वह भी कहाँ अब पहले जैसी है
फीके पड़ गए कपड़े--वपड़े, ज़ेवर--वेवर सब
आखिर मै किस दिन डूबूँगा फ़िक्रें करते है
कश्ती-वश्ती, दरिया-वरिया, लंगर-वंगर सब
डा. राहत इन्दोरी
गुलाब ख़्वाब दवा ज़हर जाम क्या-क्या है
मैं आ गया हूँ बता इन्तज़ाम क्या-क्या है
फक़ीर शाख़ कलन्दर इमाम क्या-क्या है
तुझे पता नहीं तेरा गुलाम क्या क्या है
अमीर-ए-शहर के कुछ कारोबार याद आए
मैँ रात सोच रहा था हराम क्या-क्या है
डा. राहत इन्दोरीमैं आ गया हूँ बता इन्तज़ाम क्या-क्या है
फक़ीर शाख़ कलन्दर इमाम क्या-क्या है
तुझे पता नहीं तेरा गुलाम क्या क्या है
अमीर-ए-शहर के कुछ कारोबार याद आए
मैँ रात सोच रहा था हराम क्या-क्या है
ये ज़िन्दगी सवाल थी जवाब माँगने लगे
फरिश्ते आ के ख़्वाब मेँ हिसाब माँगने लगे
इधर किया करम किसी पे और इधर जता दिया
नमाज़ पढ़के आए और शराब माँगने लगे
सुख़नवरों ने ख़ुद बना दिया सुख़न को एक मज़ाक
ज़रा-सी दाद क्या मिली ख़िताब माँगने लगे
दिखाई जाने क्या दिया है जुगनुओं को ख़्वाब मेँ
खुली है जबसे आँख आफताब माँगने लगे
फरिश्ते आ के ख़्वाब मेँ हिसाब माँगने लगे
इधर किया करम किसी पे और इधर जता दिया
नमाज़ पढ़के आए और शराब माँगने लगे
सुख़नवरों ने ख़ुद बना दिया सुख़न को एक मज़ाक
ज़रा-सी दाद क्या मिली ख़िताब माँगने लगे
दिखाई जाने क्या दिया है जुगनुओं को ख़्वाब मेँ
खुली है जबसे आँख आफताब माँगने लगे
डा. राहत इन्दोरी
thank you sr
ReplyDeleteअशोक जी ...
ReplyDeleteआप की पसंद ..मेरी भी पसंद है !
शुभकामनायें!
oh........sr.
ReplyDeletethank you
thank you thank you
ReplyDeleteRahat sahab ko kai baar roobroo suna hai ... Jo sama vo baandhte hain uska jawab nahi ... Sabhi sher lajawab hain ... Subhan alla ...
ReplyDeletebilkul shi kha sr......
Deleterahat sahab ka aandaze bya bhetrin hai..waaaah kya adaygi hai....
पहली बार सुना ..........एक नै अनुभूति हुई सुनकर
ReplyDeleteआपका ब्लॉग पसंद आया....इस उम्मीद में की आगे भी ऐसे ही रचनाये पड़ने को मिलेंगी......आपको फॉलो कर रहा हूँ |
aapka bhot bhot shukhriya.aapko nirash nhi karunga.....meri koshis yhi hogi aapko mza deta rhu
ReplyDeleteआपने लिखा....हमने पढ़ा
ReplyDeleteऔर भी पढ़ें;
इसलिए आज 23/04/2013 को आपकी पोस्ट का लिंक है http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
आप भी देख लीजिए एक नज़र ....
धन्यवाद!
bhot bhot shukhriya aap sb ka....thank you.....
ReplyDeletewaaaaaaaah rahat waaaaaaaaaaah
ReplyDeletethank you
Deletebahut achhe Ashok saheb ..wah wah kya baat hai ki yaad dila di
ReplyDeletethank you
Deleteराहत साहब की लाजवाब ग़ज़लें पढ़कर आनंद आ गया!
ReplyDeletethank you
DeleteBeautiful collection Ashok ji.. bahut achha laga padhkar..
ReplyDeletethank you
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